भारत में भी हॉकी को एक महत्वपूर्ण खेल माना जाता है और यहां कई famous hockey players of India हैं जो अपनी क्षमता और साहस के लिए पहचान बना चुके हैं। हॉकी का खेल खिलाड़ियों को एक साथी बनाता है और उन्हें समर्पण और सामरिक भावना से भरपूर बनाए रखता है। इसे देखकर हर कोई आत्मविश्वास, सामर्थ्य, और टीम काम की महत्वपूर्णता को समझ सकता है और हॉकी देशों को एक-दूसरे के साथ मेलजोल और साझेदारी में बढ़ने का एक साधन भी बना रखता है।
हॉकी एक रोमांचक और उत्साहदायक खेल है जो खिलाड़ियों को एक समृद्धि से भरी दुनिया में ले जाता है। इस खेल का आरंभ पश्चिमी दुनिया में हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे यह खेल दुनियाभर में अपनी पहचान बना रहा है। हॉकी में उच्च स्पीड, कौशल, और संघर्ष की भावना शामिल होती है, जो इसे एक रोमांचक खेल बनाता है।
List of famous hockey players of India
भारत का हॉकी इतिहास शानदार रहा है, जिसमें कई Famous Hockey Players of India ने ओलंपिक स्वर्ण सहित अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. यहां कुछ Famous Hockey Players of India की संक्षिप्त जानकारी दी गई है
1. Famous Hockey Players of India: Major Dhyan Chand
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद को व्यापक रूप से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हॉकी खिलाड़ी के रूप में माना जाता है. उन्होंने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1928, 1932, 1936) जीते और 1948 के ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने 1952 के ओलंपिक में भी खेला था. उनके गोल करने के कौशल और स्टिक मैजिक अविश्वसनीय था.
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था
उनके पिताजी भारतीय सेना में सिपाही थे और इसी वजह से ध्यानचंद का बचपन सेना के वातावरण में बीता.
16 साल की उम्र में वह खुद भारतीय सेना में भर्ती हो गए और चौधरी रेजीमेंट में शामिल हो गए.
यहीं से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया और उनकी प्रतिभा को पहचाना गया.
खेल का सफर:
ध्यानचंद का हॉकी में हुनर अद्भुत था. उनके स्टिक हैंडलिंग, बॉल कंट्रोल और गोल करने की क्षमता अद्वितीय थी.
उन्हें “हॉकी का जादूगर” कहा जाता था क्योंकि वह बॉल को ऐसे घुमाते थे मानो वह उनकी स्टिक से चिपकी हुई हो.
1926 में वह पहली बार भारतीय हॉकी टीम में शामिल हुए और 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में उन्होंने भारत को पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इसके बाद 1932 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक और 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी उन्होंने भारत को स्वर्ण पदक दिलाए.
1948 के लंदन ओलंपिक में वह टीम के कप्तान थे और भारत को रजत पदक दिलाया.
कुल मिलाकर उन्होंने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक, एक रजत पदक और एक कांस्य पदक जीता.
उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में भी खेला था, लेकिन तब तक उनकी उम्र बढ़ चुकी थी और भारत पदक जीतने में असफल रहा.
1956 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया.
कोचिंग और अन्य योगदान:
संन्यास के बाद ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में भी काम किया.
उन्होंने 1964 के टोक्यो ओलंपिक और 1968 के मेक्सिको सिटी ओलंपिक में भारतीय टीम को कोचिंग दी.
उन्होंने जर्मनी, अमेरिका और जापान जैसे देशों में भी हॉकी का प्रशिक्षण दिया.
भारतीय हॉकी के विकास में उनका योगदान अमूल्य रहा है.
सम्मान और पुरस्कार:
1956 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
1979 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
1995 में उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ ने “शताब्दी का खिलाड़ी” घोषित किया.
2009 में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने उन्हें “लेजेंड ऑफ द गेम” के खिताब से सम्मानित किया.
भारत सरकार ने उनके सम्मान में उनकी जन्मतिथि 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है.
ध्यानचंद की विरासत:
मेजर ध्यानचंद भारतीय हॉकी के ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के खेल जगत के महान खिलाड़ियों में से एक हैं.
उन्होंने हॉकी के खेल को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उनकी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
आज भी उनकी स्टिक हैंडलिंग और गोल करने की कला हॉकी खिलाड़ियों के लिए आदर्श मानी जाती है.
2. Famous Hockey Players of India: Balbir Singh Sr
ध्यानचंद के छोटे भाई बलबीर सिंह सीनियर ने भी तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1948, 1952, 1956) का हिस्सा थे. वह एक कुशल स्ट्राइकर थे और अपने मजबूत शॉट्स के लिए जाने जाते थे. उन्हें 1975 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
प्रारंभिक जीवन और हॉकी का सफर:
बलबीर सिंह सीनियर का जन्म 1924 में शाहबाद गांव (अब पंजाब के गुरदासपुर जिले में) में हुआ था.
उनके बड़े भाई मेजर ध्यानचंद थे, जिन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाता था.
बलबीर सिंह को बचपन से ही हॉकी का शौक था और वह अपने भाई को खेलते हुए देखकर प्रेरित हुए.
18 साल की उम्र में वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए और 4 सिख रेजिमेंट में शामिल हो गए.
सेना में रहते हुए उन्होंने अपनी हॉकी प्रतिभा को निखारा और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई.
खेल का शानदार कैरियर:
बलबीर सिंह एक कुशल फॉरवर्ड खिलाड़ी थे. वह मजबूत हिट्स लगाते थे और तेज़ रफ्तार से गोल करने में माहिर थे.
उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1947 में की और तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1948, 1952, 1956) जीतने में भारत की टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे.
1948 के लंदन ओलंपिक फाइनल में तो उन्होंने भारत के लिए विजयी गोल भी किया था.
1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में वह भारत के टॉप स्कोरर रहे और 13 गोल किए.
उन्होंने दो एशियन गेम्स स्वर्ण पदक (1951, 1954) और एक वर्ल्ड कप कांस्य पदक (1975) भी जीता.
कुल मिलाकर उन्होंने 61 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 64 गोल किए.
कोचिंग और अन्य योगदान:
उन्होंने अपने खेलने के बाद भारतीय जूनियर हॉकी टीम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में कोचिंग दी.
उन्होंने विश्व के कई देशों में भी हॉकी कोचिंग दी, जिनमें कनाडा, जापान और मलेशिया शामिल हैं.
वह भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष और इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन के उपाध्यक्ष भी रहे.
उनका भारतीय हॉकी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
सम्मान और पुरस्कार:
1957 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
1979 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
1995 में उन्हें भारतीय ओलंपिक संघ ने “शताब्दी का खिलाड़ी” घोषित किया.
2002 में उन्हें “मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया.
बलबीर सिंह की विरासत:
बलबीर सिंह सीनियर को भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है.
उनकी गोल करने की क्षमता और खेल के प्रति समर्पण आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी.
वह भारत के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
3. Famous Hockey Players of India: Jugraj singh
जगराज सिंह भारत के महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक थे, जिन्होंने भारत को 1984 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
प्रारंभिक जीवन और हॉकी का सफर:
- जगराज सिंह का जन्म 22 अप्रैल 1959 को पंजाब के पटियाला जिले के जंडियाला गांव में हुआ था.
- उनके पिताजी भारतीय सेना में थे और इसी वजह से जगराज सिंह का बचपन सेना के वातावरण में बीता.
- 16 साल की उम्र में वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए और 10 सिख रेजिमेंट में शामिल हो गए.
- सेना में रहते हुए उन्होंने अपनी हॉकी प्रतिभा को निखारा और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई.
खेल का शानदार कैरियर:
- जगराज सिंह एक कुशल डिफेंडर थे. वह मजबूत शरीर और तेजी से मूवमेंट के लिए जाने जाते थे.
- उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1981 में की और भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1980, 1984, 1988) जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में तो उन्होंने भारत के लिए एक गोल भी किया था.
- उन्होंने तीन एशियन गेम्स स्वर्ण पदक (1982, 1986, 1990) और दो वर्ल्ड कप स्वर्ण पदक (1982, 1986) भी जीते.
- कुल मिलाकर उन्होंने 320 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 10 गोल किए.
कोचिंग और अन्य योगदान:
- उन्होंने अपने खेलने के बाद भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में भी काम किया.
- उन्होंने 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भारतीय टीम को कोचिंग दी.
- वह भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष भी रहे.
- उनका भारतीय हॉकी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
सम्मान और पुरस्कार:
- 1984 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
- 1992 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
- 2005 में उन्हें “मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया.
जगराज सिंह की विरासत:
- जगराज सिंह को भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है.
- उनकी मजबूत डिफेंस और खेल के प्रति समर्पण आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
- उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी.
- वह भारत के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
जगराज सिंह की कुछ अनूठी उपलब्धियाँ:
- जगराज सिंह को “द वॉल” के नाम से जाना जाता था क्योंकि वह अपने मजबूत डिफेंस के लिए जाने जाते थे.
- वह 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारत के लिए सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी थे.
- उन्होंने 1986 के वर्ल्ड कप में 10 गोल किए, जो किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा एक विश्व कप में बनाए गए सबसे अधिक गोल हैं.
- वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे.
4. Famous Hockey Players of India: Asunta Lakra
असुंता लाकड़ा एक कुशल फ़ील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं जो भारत से हैं। उनका जन्म 17 दिसम्बर, 1990 को ओडिशा के सुंदरगढ़ ज़िले में हुआ था। असुंता ने भारतीय महिला हॉकी को महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उन्होंने खेल के क्षेत्र में अपनी शानदार क्षमताओं के लिए पहचान बनाई है।असुंता लाकड़ा मध्यक्षेत्री के रूप में खेलती हैं और खेत पर अपने अद्वितीय कौशलों के लिए जानी जाती हैं।
असुंता लाकड़ा ने भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिष्ठान्वित सदस्य बनकर कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में खेला है। उनका समर्पण, मेहनत और संघर्ष ने टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका योगदान एफआईएच हॉकी विश्व कप और कॉमनवेल्थ गेम्स समेत विभिन्न चैम्पियनशिप्स में दिखा गया है।
भारत के उस क्षेत्र से आई जिसे हॉकी खिलाड़ियों की श्रेष्ठता का गर्व रखा जाता है, असुंता लाकड़ा ने उम्मीदवार युवा खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श बना दिया है। उनका हॉकी के क्षेत्र में सफर एक प्रेरणा स्रोत है, जो प्रेम और समर्पण के साथ अपनी जगह बना रहा है।
असुंता लाकड़ा का खेत पर होना उनकी चलन, रणनीति और नेतृत्व गुणों से चिह्नित है। उन्होंने भारत को अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों में अहम भूमिका निभाई है। असुंता की उपलब्धियाँ हमेशा आगे बढ़ने वाली हॉकी के उत्साही नौजवानों को प्रेरित कर रही हैं, जिससे देश में इस खेल की लोकप्रियता और विकास में योगदान हो रहा है।
5. Famous Hockey Players of India: Dhanraj Pillay
धनराज पिल्ले भारत के एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्हें व्यापक रूप से भारत के अब तक के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 16 जुलाई 1968 को महाराष्ट्र के खड़की गांव में हुआ था।
प्रारंभिक जीवन और हॉकी का सफर:
धनराज पिल्ले का बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। उनके पिताजी एक किसान थे और उन्हें अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। धनराज पिल्ले शुरू से ही खेलकूद में रुचि रखते थे और उन्होंने स्कूल में हॉकी खेलना शुरू किया।
धनराज पिल्ले की हॉकी प्रतिभा जल्द ही पहचान ली गई और उन्हें भारतीय युवा टीम में शामिल किया गया। उन्होंने 1989 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
खेल का शानदार कैरियर:
धनराज पिल्ले एक बहुमुखी खिलाड़ी थे, जो गोल करने के साथ-साथ डिफेंस में भी मजबूत थे। वह अपने तेजी से मूवमेंट, बेहतरीन पासिंग और विंग से गोल करने की क्षमता के लिए जाने जाते थे।
धनराज पिल्ले ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में भारत के लिए 339 मैच खेले और 170 से अधिक गोल किए। उन्होंने तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1992, 1996, 2000), चार एशियाई खेलों स्वर्ण पदक (1990, 1994, 1998, 2002), और दो विश्व कप स्वर्ण पदक (1994, 2002) जीते।
कोचिंग और अन्य योगदान:
Famous Hockey Players of India धनराज पिल्ले ने अपने खेलने के बाद भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में भी काम किया। उन्होंने 2012 के ओलंपिक में भारतीय टीम को कोचिंग दी। वह भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष भी रहे।
सम्मान और पुरस्कार:
धनराज पिल्ले को उनके खेल के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- पद्म श्री (1992)
- पद्म भूषण (2000)
- मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2010)
धनराज पिल्ले की विरासत:
धनराज पिल्ले को भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक माना जाता है। उनकी खेल प्रतिभा और खेल के प्रति समर्पण आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी। वह भारत के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
धनराज पिल्ले की कुछ अनूठी उपलब्धियाँ:
- धनराज पिल्ले को “द विंडमिल” के नाम से जाना जाता था क्योंकि वह अपने तेजी से मूवमेंट के लिए जाने जाते थे।
- वह 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भारत के लिए सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी थे।
- उन्होंने 2002 के विश्व कप में 10 गोल किए, जो किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा एक विश्व कप में बनाए गए सबसे अधिक गोल हैं।
- वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रहे।
6.Famous Hockey Players of India Ajit Pal Singh
प्रारंभिक जीवन और हॉकी की शुरुआत:
अजीत पाल सिंह का जन्म 1937 में पंजाब के जालंधर जिले के शाहकोट में हुआ था. उनके पिताजी भारतीय सेना में हवलदार थे.उन्हें बचपन से ही खेलों में रुचि थी और उन्होंने फुटबॉल और हॉकी दोनों खेलना शुरू किया.बाद में उनकी हॉकी प्रतिभा को पहचान लिया गया और उन्हें राष्ट्रीय जूनियर टीम के लिए चुना गया.
शानदार खेल करियर:
- अजीत पाल सिंह भारत की सबसे मजबूत डिफेंडर लाइन का महत्वपूर्ण हिस्सा थे.
- वह बेहतरीन टैकलिंग और रणनीतिक बुद्धि के लिए जाने जाते थे.
- उन्होंने 1956 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक (1960, 1964, 1968) जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- उन्होंने दो एशियाई खेलों स्वर्ण पदक (1962, 1966) और एक वर्ल्ड कप रजत पदक (1971) भी जीता.
- कुल मिलाकर उन्होंने 152 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले.
कोचिंग और अन्य योगदान:
- उन्होंने अपने खेलने के बाद भारतीय हॉकी टीम के कोच के रूप में भी काम किया.
- उन्होंने कई एशियाई देशों की राष्ट्रीय टीमों को भी कोचिंग दी.
- वह खेल प्रशासन में भी सक्रिय रहे और भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष रहे.
सम्मान और पुरस्कार:
- 1970 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
- 1996 में उन्हें “शताब्दी का खिलाड़ी” घोषित किया गया.
- 2002 में उन्हें “मेजर ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड” से सम्मानित किया गया.
अजीत पाल सिंह की विरासत:
- अजीत पाल सिंह को भारत के सबसे महान हॉकी डिफेंडरों में से एक माना जाता है.
- उनकी मजबूत डिफेंस और लीडरशिप आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
- उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर गौरव दिलाया.
- वह भारत के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
7. Famous Hockey Players of India: Pargat Singh
परगट सिंह का जन्म 5 मार्च 1965 को पंजाब के जालंधर जिले के बस्ती शेख में हुआ था.बचपन से ही वह खेलों में रुचि रखते थे और उन्होंने स्कूल में ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया.उनकी प्रतिभा जल्द ही पहचान ली गई और उन्हें राष्ट्रीय जूनियर टीम के लिए चुना गया.1984 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया और अपने आक्रामक डिफेंडर खेल के लिए जल्दी ही सुर्खियों में आ गए.
शानदार हॉकी करियर:
- परगट सिंह को एक मजबूत, रणनीतिक और गतिशील डिफेंडर के रूप में जाना जाता था.
- वह शानदार टैकलिंग और गेंद छीनने की क्षमता के लिए मशहूर थे.
- उन्होंने 1988 के सियोल ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- इसके अलावा, उन्होंने दो एशियाई खेलों स्वर्ण पदक (1986, 1990) और तीन एशिया कप स्वर्ण पदक (1989, 1991, 1993) जीते.
- वह 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक और 1996 के अटलांटा ओलंपिक में भारतीय टीम के कप्तान रहे.
- कुल मिलाकर उन्होंने 250 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले.
राजनीतिक जीवन:
- हॉकी से संन्यास लेने के बाद, परगट सिंह राजनीति में शामिल हो गए.
- वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं और 2007 से जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में कार्यरत हैं.
- पंजाब सरकार में वह खेल मंत्री, जेल मंत्री और वन मंत्री रहे हैं.
सम्मान और पुरस्कार:
- परगट सिंह को उनके खेल योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- अर्जुन अवॉर्ड (1989)
- पद्म श्री (1998)
विरासत:
- परगट सिंह को भारत के सबसे महान हॉकी डिफेंडरों में से एक माना जाता है.
- उनकी आक्रामक रणनीति और खेल के प्रति समर्पण आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
- उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी.
- हॉकी के अलावा, परगट सिंह को पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में देखा जाता है.
8. Famous Hockey Players of India: Jaman Lal Sharma
जमन लाल शर्मा का जन्म 1932 में ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के बन्नू (वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) में हुआ था। खेलों के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही थी और उन्होंने स्कूल में ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया।उनकी प्रतिभा जल्द ही पहचान ली गई और उन्हें भारतीय रेलवे की हॉकी टीम में शामिल किया गया।1952 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी में पदार्पण किया और जल्दी ही अपने मजबूत डिफेंस और गेंद छीनने की क्षमता के लिए जाने गए।
शानदार हॉकी करियर:
- जमन लाल शर्मा एक मजबूत, दृढ़ और रणनीतिक डिफेंडर थे।
- वह शानदार टैकलिंग और खेल को पढ़ने की समझ के लिए जाने जाते थे।
- उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक में भारत के लिए रजत पदक जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इसके अलावा, उन्होंने 1958 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और 1962 के एशियाई खेलों में रजत पदक जीता।
- वह 1964 के टोक्यो ओलंपिक और 1966 के एशियाई खेलों में भारतीय टीम के कप्तान रहे।
- कुल मिलाकर उन्होंने 87 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।
कोचिंग और अन्य योगदान:
- हॉकी से संन्यास लेने के बाद, जमन लाल शर्मा ने कोच के रूप में भारतीय हॉकी टीम की सेवा की।
- उन्होंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली 1970 की भारतीय टीम को भी कोचिंग दी।
- वह उत्तर प्रदेश सरकार में खेल निदेशक के रूप में भी कार्यरत रहे।
सम्मान और पुरस्कार:
- जमन लाल शर्मा को उनके खेल योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- अर्जुन अवॉर्ड (1961)
- पद्म श्री (1990)
विरासत:
- जमन लाल शर्मा को भारत के सबसे महान हॉकी डिफेंडरों में से एक माना जाता है।
- उनके मजबूत रक्षात्मक कौशल और खेल के प्रति समर्पण आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
- उन्होंने भारतीय हॉकी को विश्व पटल पर एक अलग पहचान दी।
अन्य Famous Hockey Players of India:
Famous Hockey Players of India: Surinder Singh Sodhi, Ashok Kumar, V. Baskaran, Zafar Iqbal, Mohammad Shahid, Rupinder Pal Singh, Sardar Singh, Savita Punia, P.R. Sreejesh, Akashdeep Singh, Lalremsiami
ये सिर्फ कुछ नाम हैं, भारत ने कई और Famous Hockey Players of India को जन्म दिया है जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है. इन खिलाड़ियों के अंक, पुरस्कार और रिकॉर्ड का विस्तृत विवरण ऑनलाइन हॉकी डेटाबेस और विकिपीडिया पेज पर उपलब्ध हैं.
हमें Famous Hockey Players of India के गौरवशाली इतिहास को याद रखना चाहिए और उम्मीद करनी चाहिए कि आने वाले वर्षों में हमारे Famous Hockey Players of India और अधिक सफलताएं हासिल करें.
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